Book Title: Rup Jo Badla Nahi Jata
Author(s): Moolchand Jain
Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala

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Page 17
________________ मन्दिर जी में ही जिनेन्द्र यहां पर साक्षात गुरू तो है नहीं, अत: मैं जिनेन्द्र देव के सामने देवकी प्रतिमा के सामने ही जैनेश्वरी दीक्षा ग्रहण करता हूँ। मेरे अब तक के अपराधों को आप सब लोग खड़े है-माता क्षमा कर दें। आपके अपराधों का मैं क्षमा करता हूँ। पिता,परिजन, पुरजन... हम क्षमा हमक्षमा करते हैं। करते हैं IT जिनेन्द्र देव के सामने ब्रह्मगुलाल ने दिगम्बरी दीक्षा ली-केश लांच किया और... हाथ में पीछी कमण्डल लिये हुए... मुनि ब्रह्मगुलालचल दिये जंगलकी ओरसब लोग देखते रह गये SH ANIMAL 15

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