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तुम पुरुष हो, परन्तु मैं नारी हूँ। नारी
कौन किसका पति, कौन किसकी पत्नी । यह सब झूठी कहानी है। धैर्य रखो। अपने को जानो, अपनी शक्ति को पहिचानो, फिर परेशानी ही नहीं होगी।
अधूरी होती है। उसका सहारा तो उसका पति ही होता है। अब मेरा क्या होगा ?
बहू, ये हमसे मानने वाले नहीं। इनका एक मित्र है मथुरामल तुम उसकी पत्नी के पास जाओ और उससे कहकर मथुरामल को यहां लिवा लाओ, वही इन्हें समझा सकता है और कोई नहीं
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अच्छा पिता जी