Book Title: Rup Jo Badla Nahi Jata
Author(s): Moolchand Jain
Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala

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Page 23
________________ ब्रह्मगुलाल की पत्नी पहुँची मथुरामला की पत्नी के पास और... बहिन सुना तुमने,वे तो घर छोड कर चले गये। मैं क्या करूं। इसबुरे समय में तुम ही मेरी सहायता कर सकती हो। बहिन, मुझे सब कुछ मालूम है। मुझे तुमसे पूरी मददी। है। बोलो मैं तुम्हारे लिए क्या कर सकती हूँ? MEET ठीक है, मैं इनसे कहकर इन्हें तुम्हारे पति के पास अवश्य ही भेजूंगी. कता यह तो तुम्हें मालूम ही है कि तुम्हारे पति उनके बचपन के दोस्त हैं। तुम उन्हें उनके पास भेज दो। वह उन्हें समझा बुझाकर अवश्य ही घर लौटा लायेंगे। STTISTE figE M CHSAN 21

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