Book Title: Rup Jo Badla Nahi Jata Author(s): Moolchand Jain Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala View full book textPage 8
________________ ब्रह्मगुलाल, हमारे कुंवर साहब की इच्छा है कि तुम कल शेर का रूप बनाकर दिखलाओ राजन, आपकी आज्ञा तो शिरोधार्य है परन्तु इसके लिये मुझे आप यह आश्वासन अवश्य दे दीजियेगा कि उस समय यदि मुझ से कोई अपराध हो जाये तो आप मुझे क्षमा कर देंगे ठीक है, ठीक है। लो हम लिखकर देते है कि आपके लिये एक खून माफ 6 तो राजन् कल मैं दरबार में शेर बनकर आऊँगा। अगले दिन - राजदरबार लगा है- सभी बैठे हैं। राजकुमार के पास ही एक बकरी बंधी है। शेर दहाड़ता हुआ आता है - उसकी दहाड़ सुनकर .....Page Navigation
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