Book Title: Rup Jo Badla Nahi Jata
Author(s): Moolchand Jain
Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala

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Page 14
________________ क्या कहा? हाँ पिताजी, मुनि का रूप धारण करने के बाद उसमें दूषण न लगा सकुंगा । इस रुप को तो इन्द्र अहमिन्द भी तरसते हैं फिर क्या ऐसे रूप को ररवकर छोड़ा जा सकता है नहीं कदापि नहीं अच्छा बेटा कल बतायेंगे क्या कहता है मेरा लाल कहता है, मुनि का वेष बनाऊंगा और फिर कभी घर में न रहूंगा * LU नहीं नहीं मैं ऐसा नहीं होने दूंगी। मैं कभी भी उसे मुनि नहीं बनने दूंगी are SCSC जरा ठंडे दिल से सोचो,ऐसा कहना उसका बचपना ही तो है। मुनि बननाकोई हंसी खेल तो है नहीं। बड़ा कठिन मार्ग है यह। मुनिबन जाने दो,दो चार दिन बाद ही लौट कर घर आ जायेगा चिन्ता न करो M

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