Book Title: Rup Jo Badla Nahi Jata
Author(s): Moolchand Jain
Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala

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Page 10
________________ शेर तिलमिला उठा-निजत्व खो बैठा-ब्रह्मगुलाल भूल गया आपे को और अगले ही क्षण शेर झपटा राजकुमार पर और अपने पंजों से चीर डाला उसे... S हैं, यह क्या? रवून-वह भी राजकुमार का-अनर्थमहाअनर्थ-अब क्या होगा? मेरा लाल.. NED न AS MANANVa STMA राजदरबार में सन्नाटा.. राजा भी मुर्छित हो गिर पड़ा होश आने पर... में लुट गया, बरबाद हो गया। एक ही पुत्रथा वह भी चला गया और वह भी मेरी गलती से न में ब्रह्मगुलाल को शेरका ऊपबनाकर आने को कहता, न अपने लाइले कुंवर को खोता। मेरा तो राज्यही सूना हो गया। राजन, शांत होईये। जो होना था हो गया, रोने धोने से जाने वाला वापिस थोड़े ही आ जायेगा। क्या किया जाये कुछ समझ में नहीं आता।

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