Book Title: Ravisagarji Jivan Charitra Shok Vinashak Granth Author(s): Buddhisagar Publisher: Buddhisagar View full book textPage 9
________________ शिपय उपाध्याय श्री सहेजसागरजी थया. तेमना शिष्य उपाध्याय श्री जयसागरजी थया. तेमना शिष्य मानसागरगणि थया. तेमना शिष्य जीनसागरगणि गया. तेमने वीसनगरना श्रावक, मंगळदासने दीक्षा आपी मयगलसागरजी नाम आप्युं मयगलसागगरजी विहार करता करतां नागपुर तरफ पधार्या. त्यां अमदावादना श्रावक प्रेमचंदभाइ व्यापार करवा आव्या हता तेमने उपदेश देइ दीक्षा आपी. पद्मसागरजी नाम आप्युं मयगलसागरजी तथा पद्मसागरजी बन्ने विद्वान् हता. पद्मसागरजीए सं. ग्रामगढना रहेवाशी श्रावकने दीक्षा आपी. सुज्ञान - सागरजी नाम आप्युं. नागोरना श्रावकने दीक्षा आपी सरुपसागरजी नामना बीजा शिष्य कर्या. CPage Navigation
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