Book Title: Ravisagarji Jivan Charitra Shok Vinashak Granth
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Buddhisagar

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Page 11
________________ दीक्षा आपी भावसागरजी नाम आप्यु. उदेपुरनी श्रावीझाने दीक्षा आपी मयणश्री नाम आप्यु. संवत १८२५ ना अशाड शुदि ११ अगीयारसना रोज रोज मेरता गाममां पद्मसागरजीए स्वर्ग गमन कर्यु. श्री पद्मसागरजीना बीजा शिष्य श्रीसरुपसागरजीए हरशोळ गामना श्रावकने दीक्षा देइ ना. यासागरजी नाम आप्यु. अने मारवाडमा प्रतिबोध देता गामोगाम विहार करवा लाग्या. श्रीसरुपसागरजी संवत १८६६ ना पोश शुदी २ बीजना रोज श्री पाली शहरमां काळ धर्म पाम्या. तेमना शिष्य श्री नाणसागरजी विहार करता भव्य जीयोने उपदेश देता. संजम मार्ग दीपावता गुजरात तरफ पधार्या. श्री नाणसा भीए दणना २७३ श्राव

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