Book Title: Ravisagarji Jivan Charitra Shok Vinashak Granth
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Buddhisagar

View full book text
Previous | Next

Page 52
________________ आत्माहित कयु. धन्य छे तेमने. गरीब लोकोने श्रावक वर्ग तरफथी दान आपवामां आव्युं. रुपैया, अडधा, पाबलं, रुपानां फूल विगेरे उठाळ वामां आव्यां. चउटा तरफथी पालखी दक्षिण दिशा तरफ लीधी. आ वखते ब वान्यानो सुमार हतो. तडको सखत हतो. आकाश शांत हतुं. पक्षीओ पोताना माळामां बेठां बेठां कल्लोल करता हता. पालखी धारेला खेतरमां आवी पहोंची.सखडनां लाकडां विगेरे अग्निसंस्कारनो सामान तैयार हतो. साडात्रण वाग्याना आशरे महाराजजीना शरीरने अग्निसंस्कार करवामां आव्यो. महाराजजीना मरणनी तीथीनी यादगीरी सारु नवकारशी नीमवामां आवी. अने ते दीवसे आखा गाममा हडताल पाळी. तेज दीवसे माणसा, बीजापुर, पेथापुर,

Loading...

Page Navigation
1 ... 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128