Book Title: Ravisagarji Jivan Charitra Shok Vinashak Granth
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Buddhisagar

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Page 55
________________ ५० बिसागरजी महाराजजीना चरित्रमां मतिविभ्रमथी जे कइ भूलचुक थइ होय ते सुधारी वांचशो. माहाराजजीए जे जे ठेकाणें विहार कर्यो हतो. अने चोमासां कर्या हतां. ते गामाना संघ उपर का - गळ लखी हकीकत मंगावी आ चरित्र लख्यूं छे. बनता प्रयासे आ चरित्र तैयार करी तेमना गुणोनुं स्मरण करी तेमनो प्रशिष्य गुणीना गुण गाइ आनंद माने छे. दुहा. विघ्न हरण श्री पार्श्वनाथ, संखेश्वर सुखकार; शांति करण श्री शांतिनाथ, रुद्धि सिद्धि दातार ॥१॥ गुरुतणा गुण गावतां, सफल थाय अवतार; विसागर गुरुरायनुं, चरित्र कथं जयकार. ॥२॥

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