Book Title: Ravisagarji Jivan Charitra Shok Vinashak Granth
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Buddhisagar

View full book text
Previous | Next

Page 16
________________ हापुण्यना योगे मनुष्य जन्म श्रावककुळ आदि धर्म सामग्री पाम्यो छे. माटे ते सामग्री पामीने जरा पण आळस करवी भव्य जीवोने उचित नथी. श्री वीतरागभाषीत धर्मना बे प्रकार छे. १ यतिधर्म. २ श्रावकधर्म ओ बेमा यतिधर्म शिघ्र मोक्षदाता के. कयुं छे के गाथा. एकदीवसंयिजीवो पवज्जमुव्वागउअणुप्णमणो जइनिपावइमुरकं अवस्सवेमाणीउहोइ ॥१॥ भावार्थ शुद्ध श्रद्धाए त्रिकरण योगे करी संजम पाळता एक दीवसनुं पण मोक्ष आपी शकेले. __ जो कदापि मोक्ष पमी शके नहीं तोपण वेमानीक देवतापणे तो ऊत्पन्न थइ शके.

Loading...

Page Navigation
1 ... 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128