Book Title: Ravisagarji Jivan Charitra Shok Vinashak Granth
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Buddhisagar
View full book text
________________
महाराज साहबजीना शरीरनी स्थीति नबळी जाणी केटलाक श्रावको उपाश्रयमा सुइ रह्या हता. अने वाराफरती श्रावको जागरण करता हता. रात्रीना चार वाग्याना सूमारथी महाराजनुं शरीर वधारे नरम थयु आ वखते श्रावक वेणीचंद सूरचंद तथा शेट बसताराम नेमीदास, तथा छगनलाल डोसाभाइ, तथा न. गीनदास झवेरचंद, तथा खुवचंदभाइ महेता पाटण. वाळा, तथा कीकाभाइ तथा प्रबंध लखनार हुं: पाते ते वखते हाजर हता.
__ महाराजजी साझेबने पोतानो अंतकाळ नजीक भासवाथी अंतवासे श्रावकोने चेतवणी आपी. संवत १९५४ ना जेट, वदो. ११ ना रोज सवारना पहोरमा प्रतिक्रमण विगेरे करी तथा पार्श्वनाथजीनी प्र

Page Navigation
1 ... 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128