Book Title: Ravisagarji Jivan Charitra Shok Vinashak Granth
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Buddhisagar
View full book text
________________
प्रतापथी श्रावक लोकोवू लक्ष्य संवेग मार्गमा खेच्यु अने तेमना ऊपदेशथी लोक शुद्ध मार्ग समजवा लाग्या. त्यां केटलोक वखत रही गामोगाम विहार करता वीरममाम पधार्या अने त्यां चोमासु कयु.
संवत १९२० नी साल- चोमासु घोवामां कर्य. अहिं. इडरना भाबक सरूपचंदने संबस १९२० ना वैशाल सुदि १० दशमे दीक्षा आपी. शांती. तागरजी नाम पाडधुं हतुं. तेमनी पोतानी स्त्री गुजरी जवाथी बीजुं सगपण करेलूं हतुं छतां ते संगपण तोडी दीक्षा लीधी हती. अहीं पण जती कोकोनुं घणुं जोर हतुं. पण आ महात्माना प्रतापथी सत्यज जय पाम्यु. चोमासुं पुरु थया बाद संघ साथे पालीताणे सिद्धाचलगिरिनां दर्शन करवा पधार्या.

Page Navigation
1 ... 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128