Book Title: Ravisagarji Jivan Charitra Shok Vinashak Granth
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Buddhisagar
View full book text
________________
शांतिसागरजीने नानी दीक्षा भावनगरमा आपी हती तेमनो दीक्षा ओच्छव अमरचंद जशराजनी मातुश्री मोतीबाइना हाथे थयो हतो. अहीं चोमासु कर्या बाद घोवाए गया. एम समजाय छे. गीरिराजनी जात्रा कर्या वाद वीरमगाम पधार्या. त्या महाराजना उपदेशथी गांधी कस्तुरचंद वेणीचंदे पालीताणानो संघ काट्यो हतो. तेमां सात साधुना टाणां तथा पांच साधवीनां ठाणां हता. अनुक्रमे जात्रा करी पाछा आवी माणसा तरफ पधायो. संवत १९२२ ना पोश बंदी १२ बारसना रोज पालणपुरना संघना आग्रहथी त्यां पधार्या. फागण शुदि पांचमना रोज संघ साथे शिष्यो सहीत आबूजी जात्रा करवा सारु विहार कॉ. अनुक्रमे जात्रा करी पाछा आवी फा.

Page Navigation
1 ... 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128