Book Title: Rasratna Samucchay
Author(s): Manikyadevsuri
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 37
________________ रसरत्नसमुच्चयम् मेघनादे पयस्विन्या गन्धै। गृष्ट्या स्तनोद्भवे । निषक्तं मृतिमायाति तप्तं वज्रमनुक्रमात् ।।४७।। अथ शेषरत्नानि । अम्भोदस्य रसेंगनायाः स्तन्ये निषिक्तानि सविद् [5] म्राणि । तप्तानि मुक्तामणिपद्मराग-मुख्यानि रत्नानि मृति व्रजन्ति ।।४।। हीनौषघिपुटं किंचित् यदत्र विदितं मया। रसकर्मसु तत् शो [सो] ध्यं रसकर्मसु कर्मठैः ।।४।। माणिक्यदेवः श्रीदेवचन्द्र शिष्यो व्यधादिमम् । रसाङ्गसंग्रहं शो [सो] ध्यद्रव्यशुद्धिसमन्वितम् ।।५०।। इति परमजैनाचार्यसिद्धश्रीमन्माणिक्यदेवविरचितायां रसामृतश्रियां रसागसंग्रही नाम प्रथमोऽधिकारः । (1) In the MS. the word is qufFT FUTTE the correct form may be पयस्विन्या दुग्धे । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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