Book Title: Rashtrakuto (Rathodo) Ka Itihas
Author(s): Vishweshwarnath Reu
Publisher: Archealogical Department Jodhpur

View full book text
Previous | Next

Page 133
________________ १२३ कन्नौज के गाहड़वाल [वि. सं. ११२५ ( ई. स. १०६८ ) के निकट से वि. सं. १२८० ( ई. स. १२२३ ) के निकट तक ] कर्नल जेम्स टॉड ने अपने राजस्थान के इतिहास में लिखा है' कि, वि. सं. ५२६ ( ई. स. ४७० ) में राठोड़ नयनपाल ने अजयपाल को मारकर कन्नौज पर अधिकार कर लिया था । परन्तु यह बात ठीक प्रतीत नहीं होती; क्योंकि यद्यपि कन्नौज पर पहले भी राष्ट्रकूटों का अधिकार रह चुका था, तथापि उस समय वहां पर स्कन्दगुप्त या उसके पुत्र कुमारगुप्त का अधिकार थी । इसके बाद वहां पर मौखरियों का अधिकार हुआ । बीच में कुछ समय के लिए वैस वंशियों ने भी उसपर अधिकार करलिया र्थों । परन्तु हर्ष की मृत्यु के बाद मौरियों ने एकबार फिर उसे अपनी राजधानी बनाया । वि. सं. ७१८ ( ई. स. ७४१ ) के करीब जिस समय काश्मीर नरेश ललितादित्य ( मुक्तापीड़ ) . ने कन्नौज पर आक्रमण किया था, उस समय भी वह मौखरी यशोवर्मा की ही राजधानी था । 1 प्रतिहार राजा त्रिलोचनपाल के, वि. सं. १०८४ ( ई. स. १०२७ ) के, ताम्रपत्रसे, और यशः पाल के, वि. सं. १०९३ ( ई. स. १०३६) के, शिलालेख से ज्ञात होता है कि, उस समय कन्नौज पर प्रतिहारों का अधिकार (1) ऐनाल्स ऐण्ड ऐक्टिक्विटीज़ ऑफ राजस्थान ( कुक संपादित ), भा० २, पृष्ठ १३० (२) भारत के प्राचीन राजवंश, भाग २, पृ० २८५-२४७ (३) भारत के प्राचीन राजवंश, भाग २, पृ० ३७३ (४) भारत के प्राचीन राजवंश, भाग २, पृ० ३३८ (५) भारत के प्राचीन राजवंश, भाग २, पृ० ३७६ (६) इण्डिन ऐण्टिक्केरी, भाग १८, पृ० ३४ (७) एशियाटिक रिसर्चेन, भाग ६, पृ० ४३२ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

Loading...

Page Navigation
1 ... 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182