Book Title: Rashtrakuto (Rathodo) Ka Itihas
Author(s): Vishweshwarnath Reu
Publisher: Archealogical Department Jodhpur

View full book text
Previous | Next

Page 151
________________ १४० राष्ट्रकूटों का इतिहास दल बल को लेकर निकट आपहुँचा, तब राजा भी लाचार हो युद्ध के लिए आगे बढा । इसके बाद दोनों के निकट पहुँचने पर भीषण युद्ध हुआ । परंतु इस बात का पूरा पता नहीं चला कि, राजा जयच्चन्द्र युद्ध में मारागया या उसने स्वयं ही गंगाप्रवेश करलिया। हरिश्चन्द्र यह जयच्चन्द्र का पुत्र था । इसका जन्म वि. सं. १२३२ की भाद्रपद कृष्णा ८ ( १० अगस्त सन् ११७५ ) को हुआ था, और यह जयचन्द्र की मृत्यु के बाद, वि. सं. १२५० ( ई. स. ११९३ ) में, करीव १८ वर्ष की अवस्था में, कन्नौज की गद्दी पर बैठा था। ___ लोगों का खयाल है कि, जयचन्द्र के मरते ही कन्नौज पर मुसलमानों का अधिकार होगया था। परन्तु उस समय की 'ताजुल -म- आसिर', और 'तबकात -ए-नासिरी' आदि तवारीखों से ज्ञात होता है कि, चन्दावल के युद्ध के बाद मुसलामनी सेना प्रयाग और बनारस की तरफ़ चलीगयी पी । उन में जयच्चन्द्र को भी बनारस का राय लिखा है । इस से स्पष्ट प्रकट होता है कि, यद्यपि कनौज मुसलमानों द्वारा लूटलिया गया था, और उसका प्रभाव भी घटगया था, तथापि वहां और उसके आस पास के प्रदेश पर कुछवर्षों तक जयच्चन्द्र के वंशजों का ही अधिकार रहा था । पहले पहल कन्नौज पर अधिकार कर वहां के गाहड़वालों के राज्य को समूल नष्ट करनेवाला शम्सुद्दीन अल्तमश ही था । यद्यपि 'तबकात-ए-नासिरी' में कुतुबुद्दीन और शम्सुद्दीन अल्तमश दोनों ही के विजित प्रदेशों में कन्नौज का नाम लिखा है', तथापि यदि वास्तव में ही कुतुबुद्दीन ने कन्नौज विजय किया होता तो शम्सुद्दीन को फिरसे उसके विजय करने की आवश्यकता न होती। .._ - --- --.--...-- (१) तबकात-ए- नासिरी, पृ० १७६ (२) इसी अल्तमश के समय बरतू नामक एक क्षत्रिय वीरने, अवध में, मुसलमानों का बड़ा संहार किया था। तबकात-ए-नासिरी (अंग्रेजी अनुवाद ), पृ०६२८६२६ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

Loading...

Page Navigation
1 ... 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182