Book Title: Rashtrakuto (Rathodo) Ka Itihas
Author(s): Vishweshwarnath Reu
Publisher: Archealogical Department Jodhpur

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Page 157
________________ परिशिष्ट कन्नौज-नरेश जयच्चन्द्र, और उसके पौत्र राव सीहानी पर किये गये मिथ्या आक्षेपे । कुछलोग कन्नौज-नरेश जयच्चन्द्र को हिन्दू साम्राज्य का नाशक कहकर उससे घृणा प्रकट करते हैं, और कुछ उसके पौत्र सीहाजी पर पल्लीवाल ब्राह्मणों को धोके से मार कर पाली पर अधिकार करने का कलङ्क लगाते हैं । वास्तव में देखा जाय तो ऐसे लोग इन कथाओं को "बाबा वाक्यं प्रमाणम्" समझकर, या 'पृथ्वीराजरासो' में, और कर्नल टॉड के राजस्थान के इतिहास' में लिखा देख कर ही सच्ची मान लेते हैं । वे इनकी सत्यता के विषय में विचार करने का कष्ट नहीं उठाते । विद्वानों के निर्णयार्थ आगे इस विषय की विवेचना की जाती है: 'पृथ्वीराजरासा' की कथा "एकवार कमधजराय ने, कनोज के राठोड़ राजा विजयपाल की सहायता से, दिल्ली पर चढ़ायी की । इसकी सूचना पाते ही वहाँ के तँवर-नरेश अनंगपाल ने, अजमेर के स्वामी, चौहान सोमेश्वर से सहायता मांगी। इस पर सोमेश्वर, अपने दल-बल सहित, अनंगपाल की सहायता को जा पहुँचा । युद्ध होने पर अनंगपाल विजयी हुआ, और शत्रु-सेना के पैर उखड़ गये । समय पर दी हुई इस सहायता से प्रसन्न होकर अनंगपाल ने अपनी छोटी कन्या कमलावती का विवाह सोमेश्वर के साथ करदिया । इसके साथ ही उसने अपनी बड़ी कन्या कनौज के राजा विजयपाल को व्याह दी। (१) इण्डियन ऐगिटक्केरी, भा• ६६, पृ० ६-६; और सरस्वती, (मार्च १६२८) पूर्णसंख्या ३३६, पृ. २७४-२८३ (२) इसी के गर्भ से जयचन्द्र का जन्म हुमा था। । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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