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इ वा सुवणसिप्पाए इ वा वरपुरिसवसणे इ वा अल्लकीकुसुमे इ वा चंपाकुसुमे इ वा कुहंडियाकुसुमे इ वा तडवडाकुसुमे इ वा घोसेडियाकुसुमे इ वा सुवण्णकुसुमे इ वा सुहिरण्णकुसुमे इ वा कोरंटवरमल्लदामे इ वा बीयो (बीयकुमुमे) इ वा पीयासोगे इ वा पीयकणवीरे इ वा पीयबंधुजीवे इ वा, भवेयारूवे सिया ? णो इणढे समझे। ते णं हालिद्दा मणी एत्तो इतराए चेव जाव वण्णेणं पण्णत्ता। तत्थ णं जे ते सुकिल्ला मणी तेसि णं मणीणं इमेयारूवे वण्णावासे पण्णत्ते । से जहानामए अंके इ वा संखे इ वा चंदे इ वा कुंदे इ वा दंते इ वा (कुमुदोदगदयरयदहियणगोक्खीरपूर) हंसावली इ वा कोंचावली इ वा हारावली इ वा चंदावली इ वा सारइयबलाहए इ वा धंतधोयरुप्पपट्टे इ वा सालिपिहरासी इ वा कुंदपुप्फरासी इ वा कुमुदरासी इ वा सुक्कच्छिवाडी इ वा पिहुणमिजिया इ वा भिसे इ वा मुणालिया इ वा गयदंते इ वा लवंगदलए इवा पोंडरियदलए इ वा सेयासोगे इ वा सेयकणवीरे इ वा सेयबन्धुजीवे इ वा, भवेयारूवे सिया? णो इणढे सम?। ते णं सुकिल्ला मणी एत्तो इट्टतराए चेव जाव वण्णेणं पण्णत्ता ।
से जहानामए' इत्यादि, तत्-सकललोकप्रसिद्धं 'यथेति दृष्टान्तोपदर्शने 'नामेति शिष्यामन्त्रणे, 'ए' इति वाक्यालङ्कारे, 'आलिंगपुक्खरे इ वे ति आलिङ्गो-मुरजनामा वाद्यविशेषः तस्य पुष्कर-चर्मपुटं तत्किलात्यन्तसममिति तेनोपमा क्रियते, इति-शब्दाः सर्वेऽपि स्वस्वोपमाभूतवस्तुपरिसमाप्तिद्योतकाः, वाशब्दाः समुच्चये, मृदङ्गो लोकप्रतीतो मर्दलस्तस्य पुष्कर
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