Book Title: Pramanprameykalika
Author(s): Narendrasen  Maharaj, Darbarilal Kothiya
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 90
________________ प्रस्तावना गच्छ'की पट्टावलीमें पाया जाता है और जिन्होंने अल्प-विद्या-जन्य गर्वसे युक्त 'आशाधर'को सूत्र-विरुद्ध प्ररूपणा करनेके कारण अपने गच्छसे निकाल दिया था । ये नरेन्द्रसेन पद्मसेनके शिष्य थे। पट्टावलीमें गुरु-शिष्योंकी एक लम्बी नामावली दी गयी है। इसमें प्रकृतसे सम्बन्ध रखनेवाले कुछ गुरुशिष्योंके क्रमबद्ध नाम इस प्रकार हैं : महेन्द्रसेन ( त्रिषष्टिपुराणपुरुषचरित्रकर्ता) अनन्तकीर्ति ( चतुर्दशमतीर्थकरचरित्रकर्ता ) विजयसेन ( चन्द्रतपस्वी-विजेता ) चित्रसेन ( पुन्नाटगच्छके स्थानमें लाडवागडगच्छके जन्मदाता ) पद्मसेन नरेन्द्रसेन इस पट्टावलीसे ज्ञात होता है कि ये पद्मसेन-शिष्य नरेन्द्र सेन प्रभाव• शाली विद्वान् थे। इनके द्वारा बहिष्कृत किये गये आशाधरको 'श्रेणिगच्छ' १. 'तदन्वये श्रीमत्लाटवर्गट-प्रभाव-श्रीपद्मसेनदेवानां तस्य शिष्यश्रीनरेन्द्रसेनदेवैः किंचिदविद्यागर्वत असूत्रप्ररूपणादाशाधरः स्वगच्छान्निःसारितः कदाग्रहग्रस्तं श्रेणिगच्छमशिश्रियत् ।' -भट्टारकसम्प्रदाय पृ० २५२ पर उद्धत पट्टा० । २. ये आशाधर सागारधर्मामृत आदि प्रसिद्ध ग्रन्थोंके कर्ता पण्डित आशाधर प्रतीत नहीं होते, क्योंकि वे गृहस्थ थे। इन्हें तो मुनि या महारक होना चाहिए, जो 'लाडवागडगच्छ' से निष्कासित किये जानेपर एक दूसरे 'कदाग्रही श्रेणिगच्छ' में जा मिले थे। यह ध्यान रहे कि गण-गच्छादि मुनियों और भट्टारकोंमें होते थे, गृहस्थोंमें नहीं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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