Book Title: Prakrit Vyakaranam
Author(s): Sanyamsagar
Publisher: Sanyamsagar
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________________ ४५४-४४५-थाम' सारं च बल / थेव लेसो लवो कला मत्ता ४४६-४४७-सारिच्छ समसीसी। अदिही अरई य रणरणओ / 164 ४४८-४४९-इत्तोप्प एअप्पभिइ / संभमो आयरो पयत्तो य / ४५०-४५१-मंतु विलिय' विप्पिय / अच्छरिय अदभुअ'चुज्ज। ४५२-४५३-दीहत्तण आयामो / चबल चडुल च चंचलं तरल ४५४-४५५-एमेय मुहा मुहिआ। केलो नम्मं च परिहासो // 166 ४५६-४५७-पलयो निहण नासो / पुष्ण सुकय च भागहेय च / 458 -459 -हित्थ विलय लज्जिअं / अत्थाणी तह सहा परिसा / ४६०-४६१-उन्नाहो उस्सेहो / विक्खंभो वित्थरो य परिणाहो / ४६२-४६३-परिरंभण अवरुंडण / आमोओ पहरिसो तोसो // 168 464-465 नट्ट लास तडव'। अणुपुठ्यि-परंपराउ पारवाडी। ४६६-४६७-आरक्खो पुररक्खो / अब्भासो गुणांणआ जुग्गौ 169 ४६८-४६९-अवहे. इकग्गमण / तद्दिअसिअ-दिअसिआइ अणुदिअह। ४७०-४७१-ओलुग्गो नित्थामो / दुज्जाय आवया वसण // 170 / / 444 बळ. 445 लेश. 446 सरखाई. 447 अति. 448 एतत्प्रभृति. 449 आदर 450 विप्रिय. 451 आश्चर्य 452 आयाम. 453 चपल. 454 एवमेव. 455 परिहास. 456 नाश. 457 पुश्ब. 458 लज्जित. 459 सभा. 460 ऊ चाई. 461 विस्तर. 462 परिरंमण. 463 तोष. 464 नाटय. 465 परंपरा. 466 पुररक्ष. 467 अभ्यास. 468 एकाग्र मन. 469 अनुदिवस. 470 रोगी. 471 व्यसन. [23]
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