Book Title: Prakrit Vyakaranam
Author(s): Sanyamsagar
Publisher: Sanyamsagar

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Page 127
________________ ४१६-४१७-माया कवेडं कहअव / अहा दिणा वासरा दिआदि। ४१८-४१९-तुहिण हिम तुसार' / घनिवहो कालिआ महिला ४२०-४२१-कणव संव' च मध्य' / पेअवणं पिउवण मसाणं न ४२२-४२३-इंगालो अंगारा / खायं तह खाइआ परिहा // 150 424 ४२५-ओवाइअ नवास / विग्धा पच्च्ह अंतरायाचा ४२६-४२७-वेयल्ल' असामस्थ / सह आणदो सुहेली व // 150 ४२८-४२९-उग्धाओ आरंभो / संखेवे। संगहो समासो य / / ४३०-४३१-निच्च निअय साँसय / अव्याहारो अणालबओ | ४३२-४३३-वावडया अखणिआ। सन्ना गुत्तं च नाम अहिहाण ४३४-४३५-अत्ती विअणा पौडा / संरभी अमरिसो मन्नू // 169 436-437- मुहाइ वेअणाइ / पञ्चग्ग अहिणव' च सज्जुक / ४३८-४३९-आवायो पमुह उरो। हेला य अणायरो रीढा // 162 ४४०-४४१-जाण करवं तोत्तडिं / अवरत्तय अणुसयं च अणुताव ४४२-४४३-कूर चंड औषण' / औणय ओयत्त' औमत्थ // 16 416 कपट. 417 दिवस. 418 हिम. 419 मेघनो समूह. 420 मृतक. 421 मसाण. 422 अंगारो. 423 खाई. 424 उपयाचित. 425 विघ्र. 426 असामय. 427 आनंद. 428 आरंभ-शरु आत. 429 संक्षेप. 430 नित्य. 431 बोलवु नही ते. 432 अक्षणिका. 433 नाम. 434 पीडा. 435 क्रोध. 436 मूल्य. 437 ताजु. 438 आपात. 439 अनादर..४४० करंच 441 अनुताप. 442 भात. 443 अवनत. [22]

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