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प्रधान संपादकीय
अंचलगच्छनी शेखरशाखानी उपशाखा पालोताणीय शाखाना वाचक कमलशेखरे वीरमगाम पासे मांडलमां संवत १६२६मांछ सर्गमा रचेली 'प्रद्यम्नकुमार चुपई' नुसौ प्रथम वार प्रकाशन करतां आनंद थाय छे. डॉ. श्री महेन्द्रभाईए प्रस्तुत कृतिनु संपादन उपलब्ध एक मात्र प्रति उपरथी कयु के जे घणु कठण काम छे. आ उपरांत तेमणे अभ्यासपूर्ण विस्तृत भूमिकामां (१) साँचप्रद्युम्न कथा विषयक संस्कृत, प्राकृत, अपभ्रंश, हिंदी अने गुजराती भाषानी रचनाओ, (२) पौराणिक कथासाहित्यनी रूपरेखा, (३) कृष्णकथा अने तदन्तर्गत प्रद्युम्नकथानी लोकप्रियता (४) हिंदु अने बैन परंपरानी प्रद्यम्नकथानां विविध रूपान्तरो अने तेमनी तुलना - ए प्रकारना विषयविभाग अनुसार प्रद्युम्नकथानुं ऐतिहासिक अने तुलनात्मक दृष्टिए निरूपण कयु छे. तेमांय महत्त्वनां कथाघटकोनो तेमनो अभ्यास रोचक छे. कमलशेखरनी लघुकृति 'नवतत्त्व चोपाई' अने 'सामायिके बत्रीस दोषनो भास' नु परिशिष्टमां संपादन करीने तेम ज 'प्रद्युम्नचुपई'गत महत्त्वना शन्दोनी सूचि आपीने प्रस्तुल प्रकाशनने तेमणे गुजराती भाषा-साहित्यना अभ्यासीओ माटे उपयोगी बनान्यु छे. प्रस्तुत संशोधनकार्ये तेमने मुंबई युनिवर्सिटीनी पीएच. डी. उपाधि प्राप्त करावी आषी छे. डॉ. महेन्द्र शाहे डॉ. हरिवल्लभ भायाणीना मार्गदर्शन नीचे १९६७मां आ शोध-निबंध तैयार करेलो. पोताना आवा अभ्यासपूर्ण अने श्रमसाध्य संशोधनकार्यने प्रकाशित करवानी मंजूरी आपवा बदल तेमनो हु आभार मानुई।
- मु. डॉ. भायाणीए समग्र महानिब धमांथी मुद्रण-प्रकाशन माटे योग्य भाग पसंद करी आप्यो छे तेम ज अनेक उपयोगी सूचनो कर्या छे. ते बदल तेमनो हुँ आभार मानु छ. प्रस्तुत पुस्तकना मुद्रण दरम्यान प्रफवाचनन कार्य डॉ. र. म. शाहे कर्यु छे ते बदल तेमने धन्यवाद.
आ कृतिना प्रकाशनमा आर्थिक सहाय करवा बदल गुजरात सरकारनो हूँ हार्दिक आभार मान छु. गुजरात राज्यना भाषानियामक श्री हसितभाई बुच अने नायब भाषानियामक श्री ई.शि. जोषीपुराए आ चाबतमा रस लई सहकार आप्यो छे, ते बदल तेमनो पण मारे आभार मानबो न गोईए.
ला. द. भा.. विद्यामंदिर अमदावाद-३८०००९ २६ जान्युआरी १९७८
नगीन जी. शाह
अध्यक्ष
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