Book Title: Prabandh Parijat
Author(s): Kalyanvijay Gani
Publisher: K V Shastra Sangrah Samiti Jalor

View full book text
Previous | Next

Page 383
________________ ३६८ १६०-सं० १४७१ वर्षे माघ सुदि १३ बुधे प्रा० व्य० सलषमण भा० रूदी पु० भीलाकेन पित्रोः आत्मश्रेयोऽथ श्री पार्श्वनाबबं कारितं प्रति० ब्रह्माणीय गच्छे भ० श्री उदयाणंदसूरिभिः ।। १६१--सं० १४८५ प्राग्वाट व्य० डूंगर भार्या उमादे पुत्र व्य० साल्हाकेन भा० माल्हणदे पुत्र कीना, दीनादियुतेन श्री सुपार्श्व चतुर्विंशतिकापट्टः कारितः प्रतिष्ठितस्तपागच्छे श्रोसोम सुन्दरसूरिभिः ॥ १६२--सम्बत् १६२० मि । फा। व । २ सा० प्रतापसिंहजी भार्या मेहताब कुमर कारित श्री मल्लिनाथजी बिं (बं)। १६३--सम्वत् १३६८ माघ सु०७ सा० गोसलसत्क मूर्तिः सा वीजडकरापिता (प्रथम पुरुष मूर्ति पर) १६४--सुहू० सुहाग देवि (द्वितीय स्त्री मूर्ति पर) १६५--सुहू० गुणदेवि सत्का मूतिः सा वीजड करापिता। (तृ० स्त्री मूर्ति पर) १६६--सा० मुहणसीह सत्कामूर्तिः (सम्वत् १३६८) १६७--सुहू मीणलदेवि सत्कमूर्तिः (गू० मं० गृ० मूर्तियां) १६८--संघपति धनसिंह, भार्या धांधलदेवि, पुत्र वीजड, स मर सीह, विजपाल, वीदाकैर्तृ षिमघरखेलतदेविय से कारितं ॥ १६६--सम्वत् १३७८ संघ० धनसिंह, भार्या धांधलदेवि, पुत्र वीजड, समरसीह, विजयपाल, (वी) रधवलैर्धातृखिन (म) धर श्रेयसे श्री महावीरः का० प्र० श्री धर्मसूरि पट्टके श्री ज्ञानचन्द्र सूरिभिः ॥ १७०--सम्वत् १३६४ सूराणा पा० ठाकुर पुत्र भीमदेवेन ..."प्र० श्री ज्ञानचन्द्रसूरिभिः ।। १७१–० १७१५ वर्षे प्रासाढ वद १४ दने चुहारा, हरदास, सुरतण, रामजी, लाधा, जेता, गोवा, वना, पदा, कसनरामजी लषतु ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 381 382 383 384 385 386 387 388 389 390 391 392 393 394 395 396 397 398 399 400 401 402 403 404 405 406 407 408 409 410 411 412 413 414 415 416 417 418 419 420 421 422 423 424 425 426 427 428 429 430 431 432 433 434 435 436 437 438 439 440 441 442 443 444 445 446 447 448