Book Title: Prabandh Parijat
Author(s): Kalyanvijay Gani
Publisher: K V Shastra Sangrah Samiti Jalor
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जगसीह, श्रीमाल ज्ञा० महा० वीसल, उ० पासदेव, प्राग्वाट ज्ञा० महा० वीरदेव उ० अरसीह तथा ज्ञा० श्रे० धणचंद्र, उ० रामचंद्र प्रभृतिगोष्टि (ष्ठि) काः । अमीभिस्तथा ५ पंचमीदिने श्री नेमिनाथदेवस्य तृतीयाष्टाहिका महोत्सवः कार्यः । तथा धउलीग्रामीयप्राग्वाट ज्ञातीय श्रे० साजण उ० पासवीर, तथा ज्ञा० श्रे० बोहडि, उ० पूना तथा ज्ञा० श्रे० जसड्य उ० जेगण तथा ज्ञातीय श्रे० साजन उ० भोला तथा ज्ञा० श्रे० पासिल, उ० पुनूय, तथा ज्ञा० श्रे० राजुय, उ० सावदेव तथा ज्ञा० दूगसरण, उ० साहणीय ओइसवाल ज्ञा० श्रे० सलखण उ० महं० जोगा तथा ज्ञा० श्रे[0] देवकुंमार उ० आसदेव प्रभृतिगोष्टि (ष्ठि) काः । अमीभिस्तथा ६ षष्ठीदिने श्री नेमिनाथ देवस्य चतुर्थाष्टाहिका महोत्सवः कार्यः ॥ तथा मुंडस्थल महातीर्थवास्तव्य प्राग्वाट ज्ञातीय श्रे० संधीरण, उ० गुणचंद्र, पाल्हा, तथा श्रे० सोहिय, उ० आश्वेसर तथा श्रे० जेजा, उ० खांखण तथा फीलिणीग्राम वास्तव्य श्रीमाल ज्ञा० चापल गाजण प्रमुख गोष्टि (ष्ठि) काः अमीभिस्तथा ७ सप्तमीदिने श्री नेमिनाथदेवस्य पंचमाष्टाहिकामहोत्सवः कार्यः ॥ तथा हंडाउद्रा ग्राम डवाणोग्राम वास्तव्य श्रीमालज्ञातीय श्रे० आम्बुय उ० जसरा तथा ज्ञा० श्रे[० ]लखमण, उ० आसू तथा ज्ञा० श्रे० आसल उ० जगदेव, तथा ज्ञा० श्रे० सूमिग, उ० धणदेव, तथा ज्ञा० श्रे० जिणदेव उ० जाला, प्राग्वाट ज्ञा० श्रे० आसल, उ० सादा, श्रीमाल ज्ञा० श्रे० देदा उ० वीसल, तथा ज्ञा० श्रे० आसधर, उ० आसल तथा ज्ञा० श्रे० थिरदेव, उ० वीरुय, तथा ज्ञा० श्रे० गुणचंद्र, उ० देवधर, तथा ज्ञा० श्रे० हरिया, उ० हेमा, प्राग्वाट ज्ञा० श्रे० लखमण उ० कडया प्रभृतिगोष्टि(ष्ठि)काः । अमीभिस्तथा ८ अष्टमीदिने श्रीनेमिनाथदेवस्य षष्ठाष्टाहिकामहोत्सव: कार्यः । तथा[म] डाहडवास्तव्य प्राग्वाट ज्ञातीय श्रे देसल उ० ब्रह्मसरणु तथा ज्ञा० जसकर, उ० श्रे० धणिया, तथा ज्ञा० श्रे० देल्हण, उ० आल्हा, तथा ज्ञा० श्रे० वाला, उ० पद्मसीह तथा ज्ञा० श्रे० आंबुय, उ० बोहडि, तथा ज्ञा० श्रे० वोसरि, उ० पूनदेव, तथा ज्ञा० श्रे० वीरुय, उ० साजण. तथा ज्ञा० श्रे. पाहुय,
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