Book Title: Prabandh Parijat
Author(s): Kalyanvijay Gani
Publisher: K V Shastra Sangrah Samiti Jalor

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Page 440
________________ शुद्धि-पत्र अशुद्ध शुद्ध पृष्ठ सं पंक्ति विशाखगणि बृहत्कल्प प्राचार्य विखाखगणि बृहकल्य प्रार्चाय योग्प ग्रन्थाकार रूपमयं शति की सतिज्जति बनाने आकार पाटली निम्बोद्धृत सुगिम्हायापाडिवए बनाये धरों योग्य ग्रन्थकार रुप्पमयं शती कि सातिज्जति बनने प्राकर पाटलि निम्नोद्धृत सुगिम्हयापाडिवए बनाने ६ घरों कान्तर भक्त सवसरण वृक्ष समुद्दश स्थाविरा उष्ट्रकरण संशोधन cK कान्तार भक्त समवसरण वृक्ष समुद्देश स्थविरा उष्ट्रकरण संशोधन कुसीले शास्त्रार्थ उद्वर्तन प्रविष्टा कुसील शास्तार्थ उद्धर्तन प्रविष्ट ४ r0 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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