Book Title: Prabandh Parijat
Author(s): Kalyanvijay Gani
Publisher: K V Shastra Sangrah Samiti Jalor

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Page 428
________________ १४--सम्वत् १५२५ वर्षे फा० .. ... ... "प्रा० ज्ञा० व्य० धांदा पु० राजा (?) भा० वजू (तेजू ? ) पुत्र...........व्य. सजन भार्ये फांफू विइजू नाम्न्योः पुत्र दूदा व्य० सीहा भा० अचूं पुत्र गागा, व (धां) दा, टील्हा ३, व्य० रत्ना भा० राजल ........ इत्यादि कुटुम्ब युताभ्यां सीहा-रत्नाभ्यां श्रीआदिनाथबिम्बं श्री सोमदेवसूरीणामुपदेशेन कारितं प्रतिष्ठितं तपागच्छे श्रीसोमसुन्दर सूरिशिष्य श्री लक्ष्मीसागरसूरिभिः ........ .... श्रीसुधानन्दनसूरिश्री सोमजयसूरि........... परिवार ।। १५--स्वस्ति सम्वत् १४६७ वर्षे आषाढ सुदि १३ दिने राउति श्री श्रीराजधरि पीतलहर देहरि न लाग श्री मातादिकरावु ठ० परभवा सामठि सेलहथ वणवी श्रीसंधि मिली की धु जेव्हला श्री आदिनाथादि तेव्ह धज श्रीमाता मागि, माणां १६ चोषा, करस १६ घृत, वरसघि पीतलहर देहरि श्रीमाता दइ, अध सोही १ तेल दीवालीए मागि कलसरि कलकावल करवा न लहि देवि कलसरि कावल करवा न लहि, पीतलहरि बीजु लाग को नथी । महं० पेतसी हस्ताक्षराणि श्री ए भवतु श्री। १६--१४६५ वर्षे उकेशवंशे दरडागोत्रीय सं० मण्डलीक ।। माला महिपति श्रावकैः श्रीगौतमस्वामीमूर्तिः कारिता श्री खरतरगच्छे ।।। १७--सो० सुहडादे कारित श्रीशांतिनाथबिम्बं प्र० श्री उदयचन्द्र वल्लभसूरिभिः । १८--सो० सुहडादे कारितं श्रीशान्तिनाथबिम्ब प्र० उदयवल्लभसूरिभिः । १६-सम्वत् १५०६ वर्षे मगसिर सुदि ७ दिने श्रीमालवंशे भडियागोत्रे सा० छाडा भार्या मेषु पुत्र सा० प्रमदाकेन भ्रातृ सा० कालाश्रेयोऽर्थं श्रीअम्बिकामूत्तिः का० प्र० श्री जिनचन्द्र सूरिभिः ॥ श्री स स................। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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