Book Title: Pooja Sangraha
Author(s): Manikyasinhsuri
Publisher: Hiralal Bhagubhai Shah

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Page 10
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir महाराजे श्री बाडीलाला : दर्शन दइ दीक्षा लेवानो आदेश आप्यो अने तेमण ... २९f निश्चय कर्यो. त्यारवाद श्रीमान् प्रतापविजयजी महाराज पाटण जई अमदावाद पधार्या एटले श्री वाडीलाले पण अमदावाद जई सं. १९४३ना माघ मासनी शुक्ल प्रतिपदाने शुभ दिने सदरहु महाराजश्री पासे चारित्र्य ग्रहण कयु, अने गुरुश्रीए तेमनुं नाम श्री माणिक्यविजयजी स्थाप्य. तेज वर्षना जेठ वद ३ ना रोज वडी दीक्षा लई तनतोड महेनतथी ज्ञानाभ्यास करवा मांड्यो पचास गाथार्नु साधुनुं प्रतिक्रमणसूत्र एकज दिवसमां अने साडात्रणसो गाथार्नु पाक्षिक सूत्र चार दिवसमा कंठस्थ कर्यु । वळी आशरे १८०० श्लोकचें सारस्वत व्याकरण अर्थ साथे फक्त त्रण मासमां कंठस्थ करी लीधुं ! आ उपरांत संस्कृत साहित्यनो तेमज धर्मशास्त्रोनो विस्तृत अभ्यास सतत चालुज राख्यो हतो. सं. १९४४ना मागसर सु. ११ ना रोज अमदावादमा लवारनी पोळना उपाश्रये तेओश्रीए पाटे बेसी सौ प्रथम व्याख्यान आप्यु हतुं ते पछी तो तेओश्रीए दीर्घकाळ सुधी विचरी समस्त गुजरात, काठियावाड अने कंईक अंशे दक्षिणनी भूमिने पण पोताना पुनित पगले अने पुनित वाणीए पावन करी लोकोने पोतानी विद्वत्ता, वक्तृत्वशक्ति अने कवित्व शक्तिथी मंत्रमुग्ध करी नांख्या हता. . चारित्र्य ग्रहण कर्या पछी तेमणे अनेक-विध कार्य कयाँ छे. सतत अभ्यास अने मननना परिणामरुप तेओश्रीए नूतन For Private And Personal Use Only

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