Book Title: Parmarth Vachanika Pravachan
Author(s): Hukamchand Bharilla, Rakesh Jain, Gambhirchand Jain
Publisher: Todarmal Granthamala Jaipur

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Page 5
________________ परमार्थवचनिका प्रवचन एवं तलस्पर्शी अध्ययन का लाभ मिल सकेगा - इस भावना से प्रेरित होकर इसका पुस्तकाकार प्रकाशन किया गया है। इसमें मूलग्रन्थ का अंश ब्लैक इटैलिक टाइप में है। ___ इन प्रवचनों का हिन्दी अनुवाद अलीगंज निवासी एवं स्व. वैद्य गम्भीरचन्दजी ने निःस्वार्थ भाव से किया है। लोकप्रिय प्रवचनकार एवं सशक्त लेखनी के धनी डॉ. हुकमचन्दजी भारिल्ल एवं डॉ. राकेश जैन शास्त्री ने इन प्रवचनों का सम्पादन आत्मधर्म में प्रकाशित होने के समय ही कर दिया था। प्रस्तुत संस्करण को आकर्षक कलेवर में प्रकाशित करने का श्रेय प्रकाशन विभाग के प्रभारी श्री अखिल बंसल को एवं प्रूफ रीडिंग श्री सौभाग्यमलजी जैन एवं श्री धर्मेन्द्रकुमारजी शास्त्री को जाता है। एतदर्थ हम अनुवादक, सम्पादक, मुद्रण तथा अन्य सभी सहयोगियों का हार्दिक आभार मानते हैं। सभी पाठक प्रस्तुत कृति के अध्ययन द्वारा परमार्थतत्त्व की अनुभूति हेतु प्रयत्नशील हों – यही मंगल कामना है। ब्र. यशपाल जैन, एम.ए. प्रकाशन मंत्री पण्डित टोडरमल स्मारक ट्रस्ट, जयपुर

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