Book Title: Paniniya Ashtadhyayi Pravachanam Part 03 Author(s): Sudarshanacharya Publisher: Bramharshi Swami Virjanand Arsh Dharmarth Nyas Zajjar View full book textPage 8
________________ अनुभूमिका (१५) भारद्वाज :- अष्टाध्यायी-सूत्र (४।२।१४५) की व्याख्या में काशिका ने 'भारद्वाज' शब्द को देशवाची माना है, गोत्रवाची नहीं। पारजीटर ने भारद्वाज देश की पहचान गढ़वाल प्रदेश से की है (मार्कण्डेयपुराण का अंग्रेजी अनुवाद पृ० ३२०)। (१६) रङ्कु :- पाणिनि मुनि के अनुसार रकु देश का मनुष्य राकवक और वहां की अन्य वस्तुयें राकव या राङ्कवायण कहाती थी (४।२।१००)। सम्भवत: यह अलकनन्दा और पिंडर के पूर्व का प्रदेश था जहां मल्ला-जुहार और मल्ला-दानापुर की भाषा रङ्का कहाती है। (१७) कुरु :- कुरुराष्ट्र, कुरुक्षेत्र और कुरुजांगल ये तीन इलाके एक-दूसरे से सटे हुये थे (४।१।१७२)। थानेश्वर, हस्तिनापुर, हिसार अथवा सरस्वती, यमुना, गंगा के बीच का प्रदेश तीन भागों में बंटा हुआ था। गंगा-यमुना के बीच में मेरठ कमिश्नरी का इलाका कुरुराष्ट्र था। इसकी राजधानी हस्तिनापुर थी। पाणिनि मुनि ने इसे हास्तिनपुर लिखा है (२।२।१०२)। कुरुक्षेत्र लोक-प्रसिद्ध है। रोहतक-हिसार-सिरसा का इलाका कुरुजांगल कहलाता था। (१८) साल्व :- अलवर से उत्तरी-बीकानेर तक फैला हुआ प्रदेश साल्व कहलाता था। पाणिनि मुनि ने अष्टाध्यायी में साल्व (४।२।१३५) साल्वेय (४।१।१६९) और साल्वावयव (४।१।१७३) इन तीन जनपदों का उल्लेख किया है। सल्वेय और साल्वावयव ये दोनों साल्व जनपद के ही भाग थे। साल्व एक प्राचीन जाति का नाम है। (क) साल्वायव :- इस विषय में काशिका में यह प्राचीन श्लोक उद्धत है : उदुम्बरास्तिलखला मद्रकारा युगन्धरा: । भूलिङ्गा: शरदण्डाश्च साल्वावयवसंज्ञिताः ।। इस श्लोक के अनुसार साल्वावयव राजतन्त्र के अन्तर्गत ये छ: रजवाड़े थे :- (१) उदुम्बर (२) तिलखल (३) मद्रकार (४) युगन्धर (५) भूलिंग (६) शरदण्ड। इनका संक्षिप्त परिचय अधोलिखित है : (१) उदुम्बर :- उदुम्बरों के पुराने सिक्के कांगड़ा (त्रिगर्त) देश में व्यास और रावी नदियों के बीच में पाये गये हैं। पठानकोट में भी उदुम्बर मुद्रायें पर्याप्त संख्या में मिली हैं। इस पुरातत्त्व प्रमाण से ज्ञात होता है कि व्यास के उत्तर और रावी के दक्षिण की संकरी घाटी में होकर त्रिगर्त के प्रवेश द्वार (गुरुदासपुर) में उदुम्बरों का राज्य था। पतंजलि मुनि ने उदुम्बरावती नदी का उल्लेख किया है (महाभाष्य ४।२।७१)। वह इसी प्रदेश की कोई छोटी नदी थी जिसके तट पर उदुम्बरों की राजधानी रही होगी। (२) तिलखल :- व्यास नदी के दक्षिण के प्रदेश (जिला होशियारपुर) में, जो आज भी तिलों की खेती का प्रधान क्षेत्र है, तिलखल राज्य का स्थान प्रतीत होता है। तिलखल शब्द का अर्थ तिलों से भरे हुये खलिहानों का देश है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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