Book Title: Paia Lacchinammala
Author(s): Dhanpal Mahakavi, Bechardas Doshi
Publisher: R C H Barad & Co Mumbai

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Page 6
________________ पिताजी, भगवंत महावीरकी वाणी के अनुसार* आप का ऋण चुका नहीं सकता। नम्र पुत्र शादीलाल *"तिहं दुप्पडियारं समणाउसो! अम्मापिउणो, भट्टिस्स, धम्मायरियस्स" हे चिरंजीव शिष्य ! मातापिता, पोषक और धर्माचार्य-इन तीनोंके उपकारका बदला देना असंभवप्राय है। -(स्थानांगसूत्र, सूत्र १३५) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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