Book Title: Pahuda Doha
Author(s): Hiralal Jain
Publisher: Balatkaragana Jain Publication Society

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Page 123
________________ शब्दकोश ७३ अहिंसा-(तत्सम) २०९, अट्टहं -(१) अपस्तात् ९४. अहो-(तत्सम) २०९. अंकय- अकृत १७७. अंग-(तत्सम ) १००, अंच- अर्च् (पूजायाम् ) अर्चयामि १३९. अंत-(तत्सम) ९८. अंध- (तत्सम ) १२८. अथवण- अस्तमन १८३ (देखो अस्थवण). अंवर-(तत्सम ) १४, १६८. आ अरु- अपरम्, (हि. और )१८१. अलक्खं- अलक्ष्य १८८, अलहंत- अलभमान २३. . अवत्थ-अवस्था १५०, १७०, २०३. अवध-(तत्सम ) अहिंसा १४४. अवर - अपर ३५, ६२, ११४, आदि. अवहर- अप+ह, इ-ति २१२, अवराड - अपर+3 ( अल्पार्थे ) १९१. अवरुप्पर - अपरापरम् १२५. अवसर-( तत्सम) १०३. अवसु-अवश्यम् १७५. अवस्स- अवश्य ७४. अविचल - ( तत्सम ) १२, ८१, १७२. असरीर- अशरीर १२१. असुद्ध - अशुद्ध १४६. असुह-अशुभ ७२, १४२, असुंदर-( तत्सम) ७२. अह-अथ ९३, १६६. अहम्म-अधर्म २९, ७२. अहव- अथ वा ८३. अहिणव - अभिनव ७७, १९३. । अहिलास- अभिलाष १६. अहिसम-अभिषेक १४०. आगम -(तत्सम ) ९. आगमण-°न ४५, 'आजणय - आ+जनक १४२. आण-आ+नी, इ-आनयति १६५. (म. आण) आणंद - आनन्द १२६. आणी- आनीता ९९. आभुजंत- आ भुञ्जत् ४. आयअ-आपद् ६. आयई- एतानि १४४. ('इदम आयः' हैम ४, ३६५). आयास- आकाश १८७. आराहिज - आराध् (कर्मणि) इ-आराध्यते ५०,


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