Book Title: Pahuda Doha
Author(s): Hiralal Jain
Publisher: Balatkaragana Jain Publication Society

View full book text
Previous | Next

Page 145
________________ शब्दकोश स्व १३३; हेहि लभसे ८१; "हंत-लभमान ८; हिवि. लन्धुम् १७९, लहु-लघु (शीघ्र ) ४, १३, १३३, १९६. ला-ला, लेइ-लाति २२०; लाए विणु-लात्वा १५०; लएइलात्वा १९४, लायअ-लात १३५; हि. लेना ). लिह-लिख, हि-लिख १४४, हिहि-लिख १५५, हिम. लिखित १६६. लिंग-(तत्सम) ३४, ३५. लिंगग्गहण-लिंग+ग्रहण १५. लीण-लीन १७३. लीह-रेखा ८३. लुद्धअ-लुब्धक १४६. लंचण-लुञ्चन १६. लेअ-लेप ९०. लोम, य- लोक ६,९६,१८०, १९५. लोण- लवण १७६. लोयण- लोचन २०३. . लोह- लोभ ८१. लोह -(तत्सम) १४८. वइस-वैश्य ३१. वहसाणर- वैश्वानर १४८, वक्खाणडा - व्याख्यान+दा ८४. वट्ट- पत्र, वर्त्मन् ११५. वाडिय- वर्मन् +डी ४७,११४, (हि.वाट-मार्ग), *वड- उक्त, डिण-उक्तन १४५, *घडवड-विलापार्थे ध्वनिसूचक धातु, इ = प्रलपति ६. (विलपेझखवडवड़ी, हेम, ४,१४८.) *वढ-मूर्ख ( कोमलामंत्रणे) २,२२,६४ आदि.(सम्भवतः वटु से; म. वेडा). वण-वन १८७. वण्ण - वर्ण ३०,३४,३५,३८. वण्णर-वानर २१. वणि - वर्णिन् २६. वत्थु-वस्तु १६१. वद्ध-वृद्ध १५३. *वप्पुडअ-वराक ५ (पुरानी हि. वापुरो). वस्म-वर्मन् १५७. वय-व्रत ११३. वयण-वचन २३. *वयल्ल-कलकल १३२. । (वियसंत कलयलेसुं वयलो, दे. ७,८४.) वइरि-वैरिन् ११७.

Loading...

Page Navigation
1 ... 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189