Book Title: Pahuda Doha
Author(s): Hiralal Jain
Publisher: Balatkaragana Jain Publication Society
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। शब्दकोश
८७
धवलत्तण- धवलत्व १४९, 'धंध- व्यवसाय ५,९१,११६
(हि-धंधा-रोज़गार) *धंधवाल- लज्जावत् १२२
(धयधंधा गरलज्जा, दे.
धाणुक धानुष्क १२१. धारण-- धारणा १०३,२०६. धुण-धुणंति-धुन्वन्ति ८६. धुत्तिम-धूर्तिमन् ८०. धेअ- ध्येय १०३,२०६. धोअ-धावय ° एसि-धावयसि
१६३.
धोय-- घौत १६३.
पड़-पत् डासि-पतसि ९१;
डिसइ-पतिष्यति-१५५ "डिय-पतित ७,११६,१५६.
"देविणु-पतित्वा २१. पडिछंद - प्रतिच्छंद ५२. पडिपिल्लिम-प्रति+प्रेरित
१६७. पडिविंव - प्रतिबिम्ब १२२. पडिय-पतित ७,११६,१५६. पडिहास-प्रतिभास 'इ. १२२. पढ-- पठ हु ९७, 'डियइ पठ्यते
८३, 'ढिय-पठित ८७. पढण-पटन १४६. पढिय-पठित ८७,९७,१५६, पण्ण - पर्ण १८४. पत्तिय - पत्रिका १५८, १५९;
"१६० (हि. पत्ती.) पदाण-प्रदान १०५. पय-पद १७७. पयट्ट-प्र+वृत् इ-प्रवर्तते १६७. पयडण-प्रकटन १७७. पयाल-प्रजाल ६९, ८४
(धान्यवुस, हि. पियाल) पर- (तत्सम ) ६, २२, ३३
आदि; रिण ४५, "स्स
४५; "इ-परस्मिन् ४९. पर- पत् इ-पतति (भवति)
१८२.
पक्ष: पद ३६,१७८,१९० आदि. पइट - प्रविष्ट १५८. पइसर--प्रति + सु उ-'तु ४८;
इ-ति १४३; हि १३४
"हु- सर्तुम् १६८ पई- त्वम् १७९; त्वाम् १०६
त्वया १०,१११. पएस. प्रदेश २३. "पगाम-प्रकामम् ११२. पच्छई-पश्चात् १७५,२००, पज्जल --प्र + वल् इ १२०,
२२०.

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