Book Title: Pahuda Doha
Author(s): Hiralal Jain
Publisher: Balatkaragana Jain Publication Society

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Page 129
________________ शब्दकोश चिकण १४७. (नक्षेचोप्पडः हेम. ४,१९१.) *च:- आरुह 'हि-आरुढ १०९; "वउंआरोहयामि ( उपनयामि ) ४९; "डाहिआरोहय १६०; चडियआरूढ १७३; ण्डविणु आरुह्य १११. चस्म-चर्मन् १६३. चर- इ-चरति ४२; रिचर ११२; 'रिअ-चरित १६५. चन - त्यज् इत्यजति ६३, रेवि = त्यक्त्वा ६६. चहु - चतुर्णाम् २१९. चरिय- चरित १७४. चारु-(तत्सम) १०४. चिट्ठ- चेष्टा १८. चित्त-(तत्सम) ४६५६ आदि चिरू-चिरम् २०१. चिंत-= चिन्तयति ७,६०; ति-चिन्तय ३२,७४,२००%; तंत-चिन्तयत् २, ११. चिंत-चिन्ता ६६,१०२. चीर-(तत्सम) १०९. चुय- च्युत २१. _विय-चुम्बित १५०. चूर- 'रिवि चूरयित्वा १९८. चेयण - चेतन २९,११०. *चोप्पडि - नक्षण १८, "ह छत्त-छत १३०० छह - पट १०१. *छंड - मुच् "दि मुन्ध १३; मुक्त्त्वा १०९, डिवि-मुक्त्वा १६, २०५; °टेविणु-मुक्त्वा ३७, १५१,१८८; इहु-मुन्नत ६९ [हि-छोड़ना; मुचः छाहेम. ४,९१, छर्द से बना. हेम. २,३६]. छिह -छिद्र १९५० __ "छुडु - यदि ४०,१४९,१५३. छोड- (देखा छंद) हि ४२; डिवि ११५. . "छोप- स्पृश्य १३९ (हि-छूना) ज-या, जति यान्ति ११६,१२४, जइ - यदि २२,३६, आदि. जह - यति ११७. जग-जगत् ५,३९,४२ आदि, जत्थ - यत्र २३,८२. जस्म- जन्मन् ७२,९३.

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