Book Title: Padmaparag Author(s): Padmasagarsuri Publisher: Shantilal Mohanlal Shah View full book textPage 8
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir समाजवाद में उच्च कोटी के लोगों को नीचे लाने का प्रयास नहीं था लेकिन नीचले स्तर के लोगों को ऊपर उठाने की भावना थी । उच्च स्तर के लोगों को नीचे लाने में समस्या खडी होगी और इस समस्या से संघर्ष निर्माण होगी। प्रेम-भाव से प्रवचन का श्रवण हो जाय तो अंतरात्मा में 'पवित्रता आती है, अगर एक बार मन में पवित्रता आ जाय, तो 'फिर पूर्णता आने में देर नहीं लगती। ज्वालामय यह संसार ज्योति बन जाओगा । आपका जीवन ऐसा होना चाहिजे कि उससे दूसरों को भी प्रेरणा मिले । ___साधू का जीवन सूपडा (सूप) जैसा होता है। सूपडे में एक विशेषता होती है। सूपडा अनाज़ में से कचरा बाहर फेंक देता है और अच्छे अनाज को अपने अंदर रखता है। साधु भी अपने जीवन से विकारों को बाहर फेंक देते हैं और आत्मा के गुणों को अपने अंदर रखते हैं और साधना के द्वारा उन गुणों का पोषण करते हैं। ___ अगर आप विचार करेंगे तो आपको मालुम पडेगा कि आपका जीवन चालनी जैसा बन गया है । गुणों को आप बहार फेंक रहे हो और दुर्गुणों का कचरा अन्दर भर रहे हो । भोजन से पेट भरता है लेकिन प्रोटीन से शक्ति प्राप्त होती है। दुर्विचार में जीवन की बरबादी है। दुर्विचार को छोड के For Private And Personal Use OnlyPage Navigation
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