Book Title: Padmaparag
Author(s): Padmasagarsuri
Publisher: Shantilal Mohanlal Shah

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Page 13
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुल्ला बैंक के चॉकीदार थे । एक दिन बैंक मैनेजर बाहर गाँव जा रहें थे । मैनेजर ने चौकीदार से कहा कि बँक के ताले का ध्यान रखना । कोई भी ताला न तोडे क्यों कि अंदर जोखम हैं । मुल्ला ने ताले का बराबर ध्यान रखा । चार दिन के बाद मैनेजर आये । ताला बराबर देख के खुश हो गये । अंदर गये । तिजोरी खोल कर देखा तो माल गायब था। पिछली बाजू से व्हेंटीलेशन में से चोर अंदर आया था और चोरी कर के चला गया था । अपने जीवन की बात तो ऐसे ही हो रही है । पॅकिंग अच्छा और माल गायब अंदर से आत्मा की नीतिमत्ता, प्रामाणिकता चली जा रही है । ऊपर से क्रिया दान तप-रूपि ताला कायम है । प्रेम से प्रवचन का श्रवण किया जाय तो श्रवण से पवित्रता आती है और ज्वालामय जीवन ज्योतिमय बन जाता है; और अंतिम, अनंत सुख का भोक्ता बन जाता है । जीवन में विचार के साथ आचरण होना चाहिये । आचरण से ही धर्म गतिमान बनता है । सिर्फ पढ़ने से या श्रवण करने से या जानने से धर्म नहीं आएगा । विचारों को आचरण में लाना पडेगा । एक बार जेसलमेर तरफ हमारा विहार था । विहार लंबा था । गरमी का मोसम था । रास्ता रेती का था । एक आदमी ने कहा- "मैं आपको शॉर्टकट से ले चलूँगा ।" हम को प्रसन्नता हुई । सडक कच्ची थी । रास्ते में कोई भी मील का पथ्थर नहीं था For Private And Personal Use Only

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