________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
-३
अनंत उपकारी जिनेश्वर भगवंत ने स्व को स्वयं में किस प्रकार खोज लेना, इसका अपूर्व परिचय प्रवचन के माध्यम से दिया ।
परमात्मा ने कहा, "जगत् अनित्य है और मृत्यू निश्चित है । इस दो बातों को अगर अच्छी तरह सोच लेना, तो उस का ध्यान सच्चा होगा |
जगत् नश्वर है | दुनिया की कोई भी चीज हमेशा रहनेवाली नहीं है । शरीर नश्वर है । प्रति क्षण हम मृत्यु की ओर जा रहे है । एक ना एक दिन यहाँ से जाना है, तो परभव की पूँजी यहाँ से प्राप्त करके जाना है । अपूर्व वात्सल्य से और करुणाभाव से परमात्मा ने इन बातों का मानव को परिचय दिया ।
संसार का संग्रह संघर्ष निर्माण करता है ।
योग-दर्शन का समर्थ विद्वान पातंजल ऋषि ने सही बतलाया है कि- विष्ट चित्त वृत्ति निरोध योग है ।
सम्राट अकबर एक वक्त जंगल में बंदगी ( नमाज ) पढ रहा था । उसी जंगल में एक माता अपने बालक के साथ लकडी तोडने के लिए आयी थी । वृक्ष की लकडी तोड कर, लड्ढे इकट्ठे कर ओ चली गयी । लडका वहाँ ही रह गया । बिचारा 'माँ माँ" करके रोने लगा । एक आदमी ने बच्चे की पूछताछ की। उसने कहा - " तुम्हारी माँ इस रास्ते से गयी है । तुम इसी सस्ते से
For Private And Personal Use Only