Book Title: Padma Vardhaman Sanskrit Dhatu Shabda Rupavali Part 02
Author(s): Rajpadmasagar, Kalyanpadmasagar
Publisher: Padmasagarsuri Charitable Trust

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Page 197
________________ -: कृदन्तावली : त्वर्थ कृदन्त संबंधक भूत कृदन्त वर्तमान कर्तरि कृदन्त वर्तमान कर्मणि कृदन्त कर्तरि भूत कृदन्त विध्यर्थ कमणि भविष्यत् कर्त परोक्षा कर्त कृदन्त भविष्यत् कर्म परोक्षा कर्म DIE गमाशे SEE 19 यत्न | गमवा माटे | गमीने गमतो गमातो / गमेलो गमायेलो गमवा योग्य गमेलो गमायेलो गमशे श्रि उभय श्रयितुम् / श्रित्वा श्रयत्,श्रयमाण श्रीयमाण श्रितवत् श्रित श्रयितव्य, श्रयणीय, श्रेय | शिश्रिवस शिश्रियाण | श्रयिष्यत् श्रयिष्यमाण शरणे शरणे शरणे शरणे शरणे शरणे शरणे जवा योग्य | शरणे शरणे . शरणे शरणे | जवा माटे जइने जतो जवातो गएलो जवायेलो गएलो जवायेलो |जशे जवाशे यत् आत्म यतितुम् यत्वा | यतमान यत्यमान यत्तवत् यत्त यतितव्य, यतनीय, यत्य | येतान येतान यतिष्यमाण यतिष्यमाण यत्न यत्न | यत्न यत्न यत्न यत्न यत्न करवा योग्य यत्न यल यत्न करवो करवा माटे | करीने करतो करातो करेलो करायेलो करेलो करायेलो करशे कराशे ध्यै(ध्याय) पर |ध्यातुम् / ध्यात्वा ध्यायत् ध्यायमान ध्यातवत ध्यात ध्यातव्य, ध्येय, ध्यानीय | दध्यिवस् | दध्यान ध्यायिष्यत् ध्यायिष्यमाण ध्यान ध्यान ध्यान | ध्यान ध्यान ध्यान | ध्यान ध्यान करवा योग्य ध्यान | ध्यान ध्यान ध्यान करवू | करवा माटे | करीने करतो करातो |करेला करायेलो / करेलो करायेलो करशे कराशे कस् पर | कसितुम् |कसित्वा | कसत् कस्यमान | कसितवत् | कसित कसितव्य, कसनीय, कास्य | चकस्वस् | चकसान कसिष्यत् कसिष्यमाण खीलवू | |खीलवा माटे| खीलीने | खीलतो | खीलातो | खीलेलो खीलायेलो खीलवा योग्य खालेलो |खीलायेलो |खीलशे खीलाशे गै(गाय) पर | गातुम् गीत्वा / | गायत् गीयमान | गीतवत् गीत गातव्य, मानीय, गेय / जगान गास्यत् गास्यमान | गावा माटे गाइने गातो गवातो | गायेलो गवायेलो गादा योग्य गायेलो गवायेलो गाशेगवाशे | जगिवस् | गा,

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