Book Title: Padma Vardhaman Sanskrit Dhatu Shabda Rupavali Part 02
Author(s): Rajpadmasagar, Kalyanpadmasagar
Publisher: Padmasagarsuri Charitable Trust
View full book text ________________ रब्धवत् करातो वणशे वधतो 1203 रब्ध्वा |रभमान रभ्यमान रब्ध | रभ्य, रब्धव्य, रमनीय | रेभाण रेभाण रभिष्यमाण | रभिष्यमाण आरंभ आरंभ करवा | आरंभ आरंभ आरंभ आरंभ आरंभ | आरंभ करवा योग्य | आरंभ आरंभ आरंभ आरंभ करीने करतो करायेलो | करेलु करेलो करायेलो करशे कराशे वे उभ| वातुम् | उत्वा वयत्, ऊयमान उत उतवत् | वेय, वातव्य, वानीय | वविवर ववान वास्यत् वास्यमान व्यमान ऊयिवस। ऊवान वास्यमान | वायिष्यमाण वणवू | ऊयान वणवा वाटे वणीने | वणतो वणातो वणयेलो | वणेखें वणेलो वणवा योग्य वणायेलो वणाशे व्ये उभ व्यातुम् व्ययत् वीयमान वीत वीतवत् / | व्येय, व्यातव्य, व्यायनीय विवीवस | विव्यान व्यास्यत् | व्यास्यमान व्ययमान व्यास्यमान ढांक | | ढांकवा माटे | ढाकीने ढांकतो ढंकातो ढंकायेलो | ढांकेखें | ढांकवा योग्य ढंकायेलु | ढाकशें | ढंकाशे श्वि पर श्वयितुम् श्वयित्वा श्वयत् शूयमान | शून / शूनवत् श्वेय, श्वयितव्य, श्वयनीय शुशूवस | शिश्वियान श्वयिष्यत् / श्वयिष्यमाण | |वधवा माटे / वधीने / | वधातो |वधायेलो | वधेलु वधवा योग्य वधायेलो वधशे / |वधाशे सन् पर | सनितुम् / सनित्वा | सनत् सन्यमान | सात सातवत् | सान्य, सनितव्य, सननीय| सेनिवस् | सेनान सनिष्यत् | सनिष्यमाण सायमान भजन | भजन भजतो |भजातो भजाएलो | भजेलो | भजवा योग्य भजेलो भजाएलो भजशे भजाशे | करवा माटे | करीने | धृत्वा धरत्/धरमाण| धियमान धृत धृतवत् धार्य, धरितव्य दधृवस् दधाण धरिष्यत् धरिष्यमाण धारण | धारण धारण धारण धारण धारण धारण करवा योग्य धारण धारण धारण | करवा माटे | करीने करतो करातो | कराएलो करेलो करेलो कराएलो करशे कराशे पर मथितुम् . | मथित्वा मथत मथ्यमान | मथित मथितवत् | माथ्य, मथितव्य मेथान मथिष्यत् मथिष्यमाण | मथवा माटे | मथीने | मथतो | मथातो मथाएलो / मथेलो मथवा योग्य मथेलो / | मथाएलो मथशे मथाशे आ | वेष्टितुम् वेष्टित्वा | वेष्टमान | वेष्ट्यमान | वेष्टित वेष्टितवत् | वेष्ट्य, वेष्टितव्य विवेष्टान | विवेष्टान वेष्टिष्यमाण | वेष्टिष्यमाण धारण मेथिवस्
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