Book Title: Padma Vardhaman Sanskrit Dhatu Shabda Rupavali Part 02
Author(s): Rajpadmasagar, Kalyanpadmasagar
Publisher: Padmasagarsuri Charitable Trust

View full book text
Previous | Next

Page 231
________________ मनाय छे धातु सन्नन्त प्रेरक / प्रेरक अद्यतनी यड़न्त यङ्गलुबन्त तृ, पु. एव तृ, पु. एव. तृ, पु. एव / तृ, पु. एव / तृ, पु. एव / पन् / पिपनिषते/पिपनायिषते / पानयते/पनाययते अपीपनत्/अपीपनायत् | पम्पन्यते स्तुति | स्तुति करवा इच्छे छे | स्तुति करावे छे / स्तुति करावी वारंवार स्तुति करे छे / वारंवार स्तुति करे छे करवी / म्ना | मिम्नासति म्नाययति अमिम्नयत् माम्नायते माम्नेति मानवू | मानवा इच्छे छे मनावाय छे वारंवार माने छ वारंवार माने छे यम् / यियंसति यमयति अयियमत् यंयम्यते यंयमीति नियममा नियममा राखवा इच्छे हे | नियम मां रखाय छे / नियम मां रखावाय छे | वारंवार नियम मां वारंवार नियम मां राखq राखे छे राखे छे रञ् | रिरक्षति रजयति अरिरजत् रारज्यते रारजीति रंगवू | रंगवा इच्छे छे रंगाय छे रंगावाय छे वारंवार रंगे छे वारंवार रंगे छे शद् | शिशत्सति शादयति अशीशदत् शाशयते शाशदीति नष्ट थर्बु नष्ट थवा इच्छे छे नष्ट थवाय छे नष्ट थवायु वारंवार नष्ट थाय छे / वारंवार नष्ट थाय छे ष्ठिव् | टिष्ठेविषति/टुष्ठ्यूयति / ष्ठेवयति अटिष्ठिवत् तेष्ठिव्यते तेष्ठिवीति

Loading...

Page Navigation
1 ... 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244