Book Title: Padma Vardhaman Sanskrit Dhatu Shabda Rupavali Part 02
Author(s): Rajpadmasagar, Kalyanpadmasagar
Publisher: Padmasagarsuri Charitable Trust
View full book text ________________ ___-: साधित धातु :धातु सन्नन्त प्रेरक प्रेरक अद्यतनी यन्त / यगलुबन्त तृ, पु. एव तृ, पु. एव / तृ, पु. एव / तृ, पु. एव / तृ, पु. एव स्पन्द् | पिस्पन्दिषते स्पन्दयति अपस्पन्दत पास्पन्द्यते पास्पन्दीति फरकवू | फरकवा माटे इच्छे छे फरकावे फरकाव्यु वारंवार फरके छे वारंवार फरके छे स्पर्ध | पिस्पर्धिषते स्पर्धयति अपस्पर्धत् पास्पर्ध्यते पास्पर्धीति स्पर्धा | स्पर्धा करवा इच्छे छे | स्पर्धा करावे छे स्पर्धा कराव्यु वारंवार स्पर्धा करे छे / वारंवार स्पर्धा करे छे करवी ऋ / | अरिरिषति अर्पयति आरिरत् अरार्यते अरारीति जवाय छे जवायु वारंवार जाय छे वारंवार जाय छ क्रम् चिक्रमिषति क्रमयति अचिक्रमत् चंक्रम्यते चंक्रमीति पगे चालवा इच्छे छे पगे चलाय छे | पगे चलाव्यु वारंवार चाले छे | वारंवार चाले छे चालवं चिकल्पिषते कल्पयति अचीकृपत् चरीक्लृप्यते चरीकलुपीति समर्थ | समर्थ थवा इच्छे छे समर्थ थवाय छे | समर्थ थवायु वारंवार समर्थ थाय छे | वारंवार समर्थ थाय छे गुप् | जुगोपिषति गोपयति/गोपायायति | अजूगुपत् जोगुप्यते जोगुपीति जवू पगे
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