Book Title: Padma Vardhaman Sanskrit Dhatu Shabda Rupavali Part 02
Author(s): Rajpadmasagar, Kalyanpadmasagar
Publisher: Padmasagarsuri Charitable Trust

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Page 233
________________ -: साधित धातु : धातु सन्नन्त तृ, पु. एव ढांक | ढांकवा इच्छे छे श्वि | शिश्वयिषति | तृ, पु. एव ढंकाय छे श्वाययति वधावे छे सानयति भजन करावे छे तृ, पु. एव ढंकावायु शूशवत्/अशिश्वयत् वधावायु असीसनत् भजन करावायु यङ्गलुबन्त / तृ, पु. एव तृ, पु. एव वारंवार ढांके छे | वारंवार ढांके छे शेश्वीयते शोशवीति वारंवार वधे छ वारंवार वधे छे सासायते संसनीति वारंवार भजन करे छे / वारंवार भजन करे छे 228 सन् सिसनिषति भजन | भजन करवा इच्छे छे कर धृ दुधूर्षति धारण | धारण करवा इच्छे छे | धारण करावायु अदीधरत् धारण करावायु देधीयते दरिधरीति वारंवार धारण करे छे / वारंवार धारण करे छे करवू मथ् / मिमथिषति मथq | मथवा इच्छे छे वेष्ट | विवेष्टिषते वीटंq | वींटवा इच्छे छे माथयति मथावे छे वेष्टयति वींटावे छे अमीमथत् मथाव्यु अविवेष्टत् मामथ्यते वारंवार मथे छे वेवेष्टयते वारंवार वींटे छ मामथीति वारंवार मथे छे वेवेष्टीति वारंवार वीटे छे वींटाव्यु

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