Book Title: Padma Vardhaman Sanskrit Dhatu Shabda Rupavali Part 02
Author(s): Rajpadmasagar, Kalyanpadmasagar
Publisher: Padmasagarsuri Charitable Trust
View full book text ________________ स्मि | सिस्मीषते थोडु हसवा इच्छे छे सिस्माययते / थोडु हसावे छे सेष्मेति थोडु हसतुं असिस्मयत् थोडु हसाव्यु सेष्मीयते वारंवार हसे छे वारंवार हसे छे वाव्रज्यते ग्रस् | जिग्रसिषति गळवू | गळवा इच्छे छे विव्रजिषति जq | जवा इच्छे छे | सिसर्पिषति | जवा इच्छे छे जिगदिषति बोलवा इच्छे छे लग् | लिलगिषति वळगतुं | वळगवा इच्छे छे ईर्ण्य | ईपियिषति ईर्ष्या | ईर्ष्या करवा इच्छे छे घु | पुपुषते अजिग्रसत् जाग्रस्यते गळावायु वारंवार गळे छे अविव्रजत् वारंवार जाय छे असीसृपत्/अससर्पत् / सरीसृप्यते वारंवार जाय छे अजीगदत् जागद्येते वारंवार बोले छे अलीलगत् लालग्यते वळगाव्यु वारंवार वळगे छे 2291 ग्रासयति गळावे छे व्राजयति जवाय छे सर्पयति जवाय छे गादयति बोलाय छे लागयति वळगाय छे ईर्ष्णयति | ईर्ष्या कराय छे प्रावयते तराय छे जाग्रसीति वारंवार गळे छे वाव्रजीति वारंवार जाय छे सरिसप्ति, स्पीति | वारंवार जाय छे / जागदीति / वारंवार बोले छे लालगीति वारंवार वळगे छे जवाएलु.. बोलावायु ऐर्षिष्यत् ईर्ष्या करावी अपुप्रवत् तरावायु पोप्रूयते वारंवार तरे छे पोप्रवीति वारंवार तरे छे
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