Book Title: Padma Vardhaman Sanskrit Dhatu Shabda Rupavali Part 02
Author(s): Rajpadmasagar, Kalyanpadmasagar
Publisher: Padmasagarsuri Charitable Trust

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Page 209
________________ -:कृदन्तावली : हेत्वर्थ कृदन्त संबंधक भूत कृदन्त वर्तमान कर्तरि कृदन्त कर्मणि कृदन्त वर्तमान कर्मणि भूत कृदन्त भविष्यत् कर्त विध्यर्थ मविष्यत् कर्म परोक्षा कर्म परोक्षा कर्त कतरि कृदन्त कदन्त 26 | थोडु थोडु 204 वींटवा माटे वींटीने वीटतो |वींटातो | वीटाएलो | वींटेलो |वीटवा योग्य वींटेलोवीटाएलो वीटशे वींटाशे आ | स्मेतुम् | स्मित्वा | स्मयमान | स्मीयमान | स्मित स्मितवत् / स्मेय, स्मयितव्य सिष्मियाण सिमियाण | रमेष्यमाण स्मायिष्यमाण | थोडं हसवा | थोडु थोडु | थोडु थोडु हसवा योग्य थोडं थोडं थोडु थोडु हसीने हसतो | हसातुं हसायेलो | हसेलु हसेलो हसायेखें हसाशे पर | ग्रसितुम् / ग्रसित्वा | ग्रसत् ग्रस्यमान | ग्रसित ग्रसितवत् / ग्रस्य, ग्रसितव्य जनस्वस जनसान ग्रसिष्यत् | ग्रसिष्यमाण गळवा माटे गळीने | गळतो गळातो गळायेखें गळेलु गळवा योग्य गलेलं गलायेखें गळशे गळाशे पर व्रजितुम् / व्रजित्वा | व्रजत् व्रज्यमान वजित व्रजितवत् / व्राज्य, व्रजितव्य तव्रज्वस्व व्रजान जवा माटे | जइने / जवातो | जवायेलु गएलु | जवा योग्य गएलुंजवायेखें जशे जवाशे पर| सप्तुम् / सृप्त्वा / सर्पत् सृप्यमान सृप्त सृप्तवत् सृष्य, सर्पितव्य ससृवस् ससृपान सय॑त् सर्व्यमान ||जवा माटे जइने | जतो जवातो जवायेखें गएलुंजवा योग्य गएलुजवायेखें जशे जवाशे पर गदितुम् गदित्वा | गदत् | गद्यमान गदित गदितवत् | गा, गदितव्य | जगद्वस् जगदान गदिष्यत गदिष्यमाण बोलवू | | बोलवा माटे | बोलीने | बोलतो | बोलातो बोलायेखें बोलेलु बोलवा योग्य बालेलुं बोलायेखें बोलशे बोलाशे लग पर लगितुम् लगित्वा | लगत् लग्यमान लग्न ग्नितता लाग्य लगितव्य लेगिनस लेगान लगिष्यत् लगिष्यमाण

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