Book Title: Padma Vardhaman Sanskrit Dhatu Shabda Rupavali Part 02
Author(s): Rajpadmasagar, Kalyanpadmasagar
Publisher: Padmasagarsuri Charitable Trust
View full book text ________________ -: कृदन्तावली : हेत्वर्थ कृदन्त संबंधक भूत कृदन्त वर्तमान कतरि कृदन्त वर्तमान कर्मणि कृदन्त कर्तरि भूत विध्यर्थ परोक्षा कर्त कर्मणि भविष्यत् कर्त परोक्षा कर्म भविष्यत् कर्म 1907 न दार सेव् आ | सेवितुम् सेवित्वा | सेवमान सेव्यमान | सेवितवत् / सेवित | सेवितव्य,सेवनीय,सेव्य सिसेवान | सिसेवान सेविष्यमाण सेविष्यमाण सेवq | सेववा माटे |सेवीने सेवतो सेवातो / | सेवेलो सेवायेलो | सेववा योग्य सेवेलो सेवायेलो | सेवा करशे सेवाशे स्वाद् आ | स्वादितुम् स्वादित्वा स्वादमान स्वाद्यमान | स्वादितवत् | स्वादित स्वादितव्य,स्वादनीय,स्वाद्य | चखादान | चखादान | स्वादिष्यमाण स्वादिष्यमाण चाखतुं | चाखवामाटे |चाखीने | चाखतो |चखातो | चाखेलो चखायेलो | चाखवा योग्य | चाखेलो | चखायेलो चाखशे चखाडशे नी उभय नेतुम नीत्वा नयत,नयमान नोतवत् नीत नेतव्य, नयनीय, नेय | निनीवस | निन्यान नयिष्यत् नयिष्यमाण दोर, | दोरतो दोरातो दोरेलो | दोरायेलो | दोरवा योग्य | दोरेलो दोरायेलो | दोरशे दोराशे याच उभय याचितुम् याचित्वा | | याचत्, याच्यमान | याचितवत् | याचित याचितव्य,याचनीय,याच्य | यचाच्वस् | ययाचान | याचिष्यत् याचिष्यमाण याचमान याचवू,माग, मांगवा माटे | मांगीने मांगतो मंगातो | मांगेलो मंगायेलो | मांगवा योग्य | मांगेलो | मंगायेलो | मांगशे मंगाशे राज उभय राजितुम् राजित्वा | राजत्, | राज्यमान राजितवत् | राजित | राजितव्य,राजनीय,राज्य | रराज्वस् | रराजान' | राजिष्यत् राजिष्यमाण राजमान शोभएँ, | शोभवा माटे |शोभीने शोभतो | शोभातो शोभेलो शोभायेलो | शोभवा योग्य शोभेलो शोभायेलो | शोभशे शोभाशे वह उभय वोदुम् ऊढ़वा | वहत्,वहमान | उह्यमान / ऊढवत् ऊढ वोढव्य,वहनीय,वाह्य | ऊहिवस् ऊहान वक्ष्यत् वक्ष्यमाण वहन वहन वहन वहन वहन करातो वहन | वहन वहन करवा योग्य वहन वहन वहन |वहन
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