Book Title: Padarth Prakash 22 Yatidin Charya
Author(s): Vijayhemchandrasuri
Publisher: Sanghvi Ambalal Ratanchand Jain Dharmik Trust

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Page 229
________________ 206 श्रीयतिदिनचर्या अवघूर्णियुता प्रमाणा भवेदित्यर्थः, यदाहु:"लट्टी विलट्टी दंडो विदंडओ नालिया य पंचमिया / संथारुत्तरपट्टो इच्चाइ उवग्गहे उवही // 1 // लट्ठी आयपमाणा विलट्ठी चउरंगुलेण परिहीणा / दंडो बाहुपमाणो विदंडओ कक्खमित्तो अ॥२॥ लट्ठीए चउरंगुलमूसिया दंडपंचगे नाली / नइपमुहजलुत्तारे तीए थग्गिज्जए सलिलं // 3 // बज्झइ लट्ठीए जवणियाइ विलट्ठीइ कत्थइ दुवारं / घट्टिज्जइ य उवस्सयस्स तेणाइरक्खट्टा // 4 // उडुबद्धमि य दंडो विदंडओ धिप्पए वरसयाले। जं सो लहु ओलिज्जइ कप्पंतरिओ जलभएण // 5 // " // 125 // अथ तस्मिन् दण्डे सूत्रोक्तयुक्त्या गाथापञ्चकेन पर्वनियमं निरूपयति - एगपव्वं पसंसंति दोपव्वा कलहकारिया / तिपव्वा लाभसंपन्ना चउपव्वा मारणंतिया // 126 // पंचपव्वा य जा लट्ठी पंथे कलहनिवारिणी / छपव्वा य आयंका सत्तपव्वा अरोगिया // 127 // अट्ठपव्वा असंपत्ती नवपव्वा जसकारिया / दसपव्वा उ जा लट्ठी तइयं सव्वसंपया // 128 // वंका कीडक्खइया फुल्लडया चेव तहय दड्डा य / लट्ठी य उब्भसुक्का वज्जेयव्वा पयत्तेणं // 129 //

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