Book Title: Oswalotpatti Vishayak Shankao Ka Samadhan
Author(s): Gyansundar Maharaj
Publisher: Ratnaprabhakar Gyanpushpamala

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Page 12
________________ ओसवालों की उत्पत्ति दशवीं शताब्दी में उपकेशपुर ( ओसियां ) बसाई यह मान लेना सरासर भूल नहीं तो और क्या है ? यदि यह भूल उपकेशपुर बसानेवाले राजकुमार उत्पलदेव को परमार मानने से ही हुई हो तो इस लेख से अपनी भूल को सुधार लेने की परम आवश्यक्ता है । २ दूसरी शंका उपकेशवंश का नाम श्रोसवाल मानना है । इस विषय में प्रथम तो हमें यह देखना है कि ओसवाल शब्द की उत्पत्ति किस कारण और किस समय में हुई । अनेक प्रमाणों से यह पुष्ट होता है कि सवाल शब्द को उत्पत्ति ओशियों नगरी से ही हुई, और ओशियों उपकेशपुर का अपभ्रंश है और इस शब्द की उत्पत्ति का समय विक्रम की बारहवीं शताब्दी के आसपास का है। इसके पूर्व इस नगर का नाम उपकेशपुर और जाति का नाम उएस- उकेश श्ररउपकेश था जैसे: (क) “उएस यह मूल नाम है और उसवाली भूमि का द्योतक है, अर्थात् जहां उस हो उसे उएस कहते हैं और उस भूमि पर जो शहर आबाद हुआ वह उएसपुर कहलाया । यह इसकी प्राकृत परिभाषा है । (ख) उकेश प्राकृत के लेखकों ने उएस को उकेशपुर लिखा । ( ग ) संस्कृत के रचयितात्रों ने उकेश को अपनी सहूलियत से उपकेशपुर लिखा । इस विषय में प्राचीन ग्रन्थों में इस नगर का नाम उकेश और उपकेशपुर ही मिलता है यथा :— समेत मेतत प्रथितं पृथिव्या मूकेश नामास्ति पुरं ॥ ओशियां मन्दिर का शिलालेख वि० सं० १०१३ का कदा दूचिकेशपुरे, सूरयः समवासरन् । वा यादृग् तन्नगरं येन, स्थापितं श्रूयतां तथा ॥ उपकेशगच्छ चरित्र श्लोक २८ अस्ति स्वस्ति चव्व ( क्रव) भूमे र्मरुदेशस्य भूषणम् ॥ निसर्ग सर्गसुभग ( प ) केशपुरं वरम् ।। नाभिनन्दनोद्धार श्लोक १८ स्ति उपकेशपुरं नगरं, तत्रौत्पलदेव नरेशो राज्यं करोति । उपकेशगच्छ पट्टावली www.umaragyanbhandar.com Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat

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