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सवालों की उत्पत्ति
इसका समय हम ऊपर लिख आये हैं । अब रहा ओसवाल नाम का निर्णय सो यह तो स्वयं सिद्ध है कि ओसवाल नाम उपकेश वंश का अपभ्रंश है और इसका समय विक्रम की बारहवीं सदी के आसपास का है, इसका मूल कारण उपकेशपुर नगर का अपभ्रंश " ओशियों" होना है। इस विषय में विशेष प्रमाणों की कोई आवश्यकता नहीं है । कारण प्राचीन ग्रंथों और शिलालेखों में इस नगर का नाम उपकेशपुर और इस जाति का नाम उपकेश वंश मिलता है, और इसके अस्तित्व के ऐतिहासिक प्रमाण विक्रम की पाँचवी शताब्दी तक के मिल सकते हैं ।
कई एक लोगों का यह भी ख्याल है कि जैन ग्रंथकारों के पिछले समय में लिखे हुए ग्रंथों में सत्यता का अंश बहुत कम और अतिश - योक्ति अत्यधिक है । इसलिए ऐतिहासिक प्रमाणों में इनका कोई विश्वास नहीं, पर हम इस कथन से सर्वांश सहमत नहीं है । कारण पूर्वाचायों के प्रथों में अतिशयोक्ति भले ही हो पर बे सर्वथा निराधार भी नहीं है। मूल घटना और प्रथ निर्माण के बीच में कितने ही समय का अन्तर है पर इससे वे ग्रंथ सर्वथा निर्मूल नहीं हो सकते । क्योंकि उन्होंने जो कुछ लिखा है वह भी किसी न किसी आधार से ही लिखा है। और उनका लिखना प्रायः प्रथों पर कोई विश्वास न रक्खें तब तो अंधेरे में ही रहेगा । अतः यदि किसी लेख तो उसका संशोधन करना हमारा कर्त्तव्य है । बहिष्कार करना हमारे लिए बहुत हानिकारक है ।
सत्य हो है । यदि हम हमारा इतिहास नितान्त में कोई तरह की त्रुटि हो किन्तु उसका एकदम
आज मैं उपकेश वंश ( ओसवाल ) की उत्पत्ति के कतिपय प्रमाणों का संग्रह कर विद्वद् समाज की सेवा में उपस्थित करता हूँ । यद्यपि एक विशाल वंश के लिए मेरे चुने ये प्रमाण पर्याप्त तो नहीं होंगे, फिर भी आज तक जो ओसवालोत्पत्ति का इतिहास अन्धकार में था उस पर जरूर नहीं की अपेक्षा थोड़े कुछ प्रमाण भी ) श्रच्छा प्रकाश डालेंगे। और यह बात मानने में भी किसी तरह का कोई सन्देह नहीं रहेगा कि मूल महाजन वंश की उत्पत्ति विक्रम से ४०० वर्ष पूर्व में हुई थी, और उपकेश वंश एवं श्रोसवाल वंश ये उसी महाजन वंश के कालक्रम से
पड़े उपनाम हैं । अस्तु ! आगे ज्यों ज्यों शौध होती रहेगी त्यों त्यों
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