Book Title: Oswalotpatti Vishayak Shankao Ka Samadhan
Author(s): Gyansundar Maharaj
Publisher: Ratnaprabhakar Gyanpushpamala

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Page 56
________________ ५२ ओसवान की उत्पत्ति बनाए यह कथन कपोल कल्पित है, इसमें सत्यांश बिलकुल नहीं है । जैन पट्टावली और जैन ग्रंथों में आसवंश स्थापना का समय महावीर निर्वाण से ७० वर्ष बाद ही लिखा मिलता है जो वास्तविक मालूम होता है" । "आबू जैन मन्दिरों के निर्माता पृष्ट २-४ " ३७ – तपागच्छीय प्राचीन पट्टावली में लिखा है कि वीरात् ७० वर्षे आचार्य रत्नप्रभसूरि ने श्रोसा नगरी में श्रोसवंश की स्थापना की । ३८ - चंचलगच्छ पट्टावली में उल्लेख मिलता है कि श्राचार्य रत्नप्रभसूरि ने वीर से ७० वर्ष उकेशपुर में उकेशवंश की स्थापना की । ३९ – कोरंटगच्छ पट्टावली में लिखा है कि वीरात् ७० वर्षे आचार्य रत्नप्रभसूरि ने एस नगरी में ओसवाल बनाए । ४० - खरतर गच्छ पट्टावली में लिखा है कि ओशियों नगरी में वीरात् ७० वर्षे आचार्य रत्नप्रभसूरि ने ओसवाल बनाए । ४१ - नागपुरिया तपागच्छ पट्टावली में लिखा है कि वीरात् ७० वर्षे आचार्य रत्नप्रभसूरि ने उपकेशपुर में उपकेशवंश की स्थापना की । ४२ –— उपकेश गच्छ पट्टावली में विस्तृत रूप से लिखा है कि वीरात् ७० वर्षे आचार्य रत्नप्रभसूरि ने महाजन संघ की स्थापना की । ४३ - कुलगुरुत्रों की प्रामाणिक वंशावलियों में यह लिखा मिलता है कि वीरात् ७० वर्षे आचार्य रत्नप्रभसूरि ने उपकेशपुर में क्षत्रियादि जैनों को जैन बनाके महाजन सङ्घ की स्थापना की, आगे चलकर उन्हीं का नाम उपकेशवंश और ओसवाल हुआ है । ४४ - वर्त्तमान समय की पत्र पत्रिकाएँ प्रकाशित होती हैं और इनमें जो सवाल जाति की उत्पत्ति विषयक लेख निकलते हैं उन सब में यही उल्लेख मिलता है कि वीरात् ७० वर्षे आचार्य रत्नप्रभसूरि ने उपकेशपुर में महाजन वंश की स्थापना की जिन्हें आज हम श्रोसवाल कहते हैं । इस तरह पूर्वोक्त प्राचीन एवं अर्वाचीन प्रमाणों से मैंने उपकेशवंश ( सवाल ) की उत्पति का समय वीरात् ७० वर्षे अर्थात् विक्रम से ४०० वर्ष पूर्व का निर्णय किया है और मेरे इन निर्णय में यदि कोई Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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